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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2795
आईएसबीएन :0

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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन

अध्याय - 6

संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान

(The Constitution of United State of America)

प्रश्न- अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यों, शक्तियों की विवेचना कीजिए।

अथवा
अमेरिकी संविधान में राष्ट्रपति की स्थिति और शक्तियों की तुलना ब्रिटिश संविधान में ग्रेट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की स्थिति व शक्तियों से कीजिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. अमेरिकी राष्ट्रपति के चयन प्रणाली को स्पष्ट कीजिए।
2. अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यों को बताइये।
3. अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रमुख शक्तियाँ क्या-क्या हैं?
4. अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलना ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से कीजिए।

उत्तर -

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का राष्ट्रपति-स्वरूप व महत्व - संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्यपालिका के अधिकाधिक और वास्तविक प्रधान राष्ट्रपति का वैधानिक दृष्टि से देश के नागरिकों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचन किया जाता है परन्तु व्यवहार में इस पद्धति ने प्रत्यक्ष निर्वाचन का रूप ग्रहण कर लिया है। राष्ट्रपति देश की कार्यपालिका का प्रधान है। कांग्रेस राष्ट्रपति द्वारा धन की स्वीकृति देने से इंकार किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति देश की सेना का अध्यक्ष है वे परराष्ट्र संबंधों का संचालन करता है। अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद दो में एक छोटे से वाक्य में कहा गया है कि अमेरिकी संघ की कार्यपालिका शक्ति एक राष्ट्रपति में निहित होगी।

राष्ट्रपति का निर्वाचन - राष्ट्रपति पद के लिए अर्हतायें - अमेरिका का राष्ट्रपति संसार का सबसे महान शासक व शक्तिशाली है। यह चुनाव अमेरिका में हर 4 वर्ष बाद होता है। अमेरिका संविधान केअनुच्छेद 2 की उपधारा 1 में कहा गया है कि राष्ट्रपति पद के लिए वही व्यक्ति पात्र होगा जो निम्न शर्ते पूरी करता है-

1. वह व्यक्ति जो संयुक्त राज्य अमेरिका का जन्मजात नागरिक हो।
2. उसकी आयु 35 वर्ष से कम न हो।
3. कम से कम वह व्यक्ति अमेरिका में 14 वर्ष रहा हो। इसके लिए लगातार 14 वर्ष तक अमेरिका में रहना आवश्यक नहीं है।

साथ-साथ राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसने किसी क्षेत्र में कोई विशेष कार्य किया हो। वह व्यक्ति निर्वाचन के समय अमेरिकन कांग्रेस का सदस्य, किसी राज्य का गर्वनर, राजदूत, न्यायाधीश अथवा साधारण रूप से प्रसिद्ध पत्रकार हो सकता है।

(i) प्रत्याशियों का मनोनयन - यह मनोनयन विविध राजनैतिक दलों के राष्ट्रीय सम्मेलनों में किया जाता है। इस प्रकार चुनाव वर्ष के जुलाई अगस्त माह में प्रत्येक राजनैतिक दल अपने एक-एक प्रत्याशी राष्ट्रीय सम्मेलनों में राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति पदों हेतु (भिन्न राज्यों) को भेजते हैं।

(ii) चुनाव अभियान - राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया का दूसरा चरण चुनाव प्रसार कार्य होता है। चुनाव अभियान के संचालन के लिए निर्वाचित उम्मीदवार राष्ट्रपति एक समिति की नियुक्ति करता है जो प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार कार्य की देखभाल करती है।

(iii) मतगणना व परिणाम - निर्वाचन मंडल के सदस्य अपने राजनैतिक दल की रिकार्डिंग मशीन मात्र होते हैं। चुनाव वर्ष में दिसंबर मास के दूसरे बुधवार को निर्वाचक मंडल के सदस्य अपने-अपने राज्यों की राजधानियों में एकत्रित होकर राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति पद के लिए विभिन्न उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करते हैं। मतों की गणना मशीन से की जाती है और उसे सीनेट के पास भेज दिया जाता है।

निर्वाचन प्रणाली की आलोचना संयुक्त राज्य अमेरिका के बुद्धिजीवी निर्वाचन प्रणाली की आलोचना निम्न कारणों से करते हैं-

1. निर्वाचक मंडल के सदस्य दलीय आधार पर चुने जाते हैं लेकिन उसके बाद कानून स्वतंत्र है कि किसी भी उम्मीदवार को मत दें।

2. यह निर्वाचन प्रणाली इस बात पर निहित है कि राज्य विशेष में जिस राजनैतिक दल को बहुमत प्राप्त होता है उसे उस राज्य के सभी निर्वाचकों को चुनने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।

3. घनी आबादी वालों के ही प्रतिनिधि सदैव राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होते हैं तथा कम आबादी वाले राज्यों तथा ग्रामीण क्षेत्रों की सदैव उपेक्षा होती है।

4. यदि निर्वाचक मंडल के मतदान के परिणामस्वरूप किसी भी उम्मीदवार को आवश्यक बहुमत प्राप्त न हो और ऐसी स्थिति में जब राष्ट्रपति का निर्वाचन प्रतिनिधि सभा द्वारा किया जाये तो परिणाम उससे सदैव भिन्न होने की संभावना रहती है।

राष्ट्रपति की शक्तियाँ - (क) राष्ट्रपति की कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ - अमेरिका का राष्ट्रपति कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान है। राष्ट्रपति की कार्यपालिका संबंधी शक्तियों को निम्न शीर्षकों के अन्तर्गत देखा जा सकता है-

1. कानूनों का क्रियान्वयन - अमेरिकन राष्ट्रपति का प्रथम एवं प्रमुख कार्य कांग्रेस द्वारा बनाये गये कानूनों का विधिवत सफलता तथा दृढ़ता से क्रियान्वयन करना है। कानूनों के क्रियान्वयन के संबंध में वह पूर्णतः स्वतंत्र है। यह देखना उसी का कार्य है कि किन कानूनों को कितनी कठोरता के साथ लागू किया जाये। राष्ट्रपति कानूनों के क्रियान्वयन के साथ शान्ति व सुव्यवस्था कायम रखने के लिए भी अन्तिम रूप से उत्तरदायी है। यदि आवश्यकता हो तो वह सेना की मदद ले सकता है।

2. सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकार - अमेरिका का राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी है। वह विभिन्न प्रशासनिक विभागों के प्रमुख सचिवों की नियुक्ति करता है जो सीधे उसके प्रति उत्तरदायी होते हैं। यह उसका दायित्व है कि देश का प्रशासन संवैधानिक उपसंबंधों के अधीन चले। वह समय-समय पर अध्यादेश, अनुदेश जारी कर सकता है। वह विदेशों तथा अन्य राज्यों से की गयी विभिन्न प्रकार की संधियों के क्रियान्वयन का उत्तरदायित्व भी निभाता है तथा उनका रखवाला होता है।

3. नियुक्ति तथा पदच्युति सम्बन्धी अधिकार - राष्ट्रपति प्रमुख रूप से निम्न अधिकारियों की नियुक्ति करता है -

1 विभिन्न विभागों के प्रमुखों की नियुक्ति जिन्हें 'सचिव' कहा जाता है।

2. राजदूतों, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, आयोगों के अध्यक्ष, सेना के सर्वोच्च अधिकारियों आदि उच्च अधिकारियों की नियुक्ति। राष्ट्रपति की नियुक्ति संबंधी शक्तियों में एक महत्वपूर्ण प्रथा 'सीनेट के प्रति शिष्टता है जिसके अनुसार राष्ट्रपति द्वारा की गयी, प्रत्येक इस प्रकार की उच्च नियुक्ति के लिए सीनेट की स्वीकृति आवश्यक है। राष्ट्रपति द्वारा की जाने वाली नियुक्तियों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है-

(i) वे उच्च पद जिन पर राष्ट्रपति सीनेट की सलाह तथा सहमति से ही नियुक्ति करता है।

(ii) अपेक्षाकृत वे निम्न पद जिन पर सीनेट की सहमति से राष्ट्रपति स्वयं अथवा विभागीय अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं।

राष्ट्रपति को अपने द्वारा नियुक्त किये गये अधिकारियों को पद से हटाने का भी अधिकार प्राप्त है और इस अधिकार पर सीनेट का अंकुश भी नहीं है। जिन वर्गों के अधिकारियों को वे स्वयं सेवा से पृथक नहीं कर सकता है वे निम्न हैं-

1. संघीय न्यायालय के न्यायाधीश जिन्हें केवल महाभियोग के माध्यम से ही हटाया जा सकता है।

2. कांग्रेस द्वारा स्थापित विविध परिषदों के सदस्यगण जिन्हें हटाने के लिए स्वयं कांग्रेस ने कुछ नियम बनाये हैं। हम्फ्री बनाम संयुक्त राज्य के मामले में न्यायालय ने निर्णय दिया था कि कांग्रेस द्वारा स्थापित संघीय व्यापार आयोग के सदस्य होने के नाते हम्फ्री को हटाने का राष्ट्रपति को कोई अधिकार नहीं है।

3. वे कर्मचारी जिनकी नियुक्तियाँ लोक सेवा नियमों के अंतर्गत की जाती हैं, उन्हें साधारणतः तभी अलग किया जा सकता है, जब उनको हटाने से सेवा में सुधार व कार्यकुशलता लाई जा सकती हो।

4. अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र संबंधी अधिकार - अमेरिकन राष्ट्रपति अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का सर्वोच्च निर्वाहकर्ता है। वैदेशिक संबंधों के क्षेत्र में वह निम्न कार्यों का प्रमुख रूप से अधिकारी है

1. विदेशों में राजदूत व अन्य प्रतिनिधियों की नियुक्ति।

2. अन्य देशों के राजदूतों व अन्य प्रतिनिधियों की नियुक्ति को अपने देश में स्वीकार करना।

3. वह विदेशों से विभिन्न प्रकार की संधियाँ व समझौते कर सकता है, यद्यपि संधियों की पुष्टि सीनेट द्वारा किया जाना आवश्यक है।

4. युद्ध की घोषणा करना राष्ट्रपति का अधिकार क्षेत्र है, यद्यपि यहाँ भी प्रतिनिधि सभा की पूर्व स्वीकृति आवश्यक मानी जाती है।

5. परराष्ट्र संबंधों के संचालन में राष्ट्रपति खुली राजनयिक वार्ता ही नहीं वरन् आवश्यकतानुसार विदेशों से गुप्त समझौते भी करता है।

5. सेना के सर्वोच अधिकारी के रूप में शक्तियाँ - अमेरिका का राष्ट्रपति वहाँ की सेनाओं का सर्वोच्च अधिकारी होता है। राष्ट्र की आन्तरिक तथा बाह्य सुरक्षा के लिए वह उत्तरदायी है। सशस्त्र बलों को आदेश देना और युद्ध संचालन करने की शक्ति राष्ट्रपति को प्राप्त है। 1965 में उत्तरी वियतनाम पर बमबारी का आदेश देकर राष्ट्रपति जानसन ने अमेरिका को वियतनाम युद्ध में झोंक दिया। 1990 में इराक युद्ध भी मुख्यतः राष्ट्रपति जार्ज बुश की इच्छानुसार ही घोषित हुआ था।

(ख) राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ - अमेरिका में शक्ति पृथक्करण का सिद्धान्त अपनाया गया जिसका तात्पर्य है कि व्यवस्थापिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका अपने क्षेत्र में स्वायत्त हैं, किन्तु साथ ही साथ वहाँ 'संतुलन एवं नियंत्रण' की भी व्यवस्था है। जिसके माध्यम से प्रत्येक अंग दूसरे अंग पर अंकुश का कार्य करता है। इसी संदर्भ में राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। राष्ट्रपति की समस्त विधायी शक्तियों को निम्न बिन्दुओं के अंतर्गत देखा जा सकता है -

1. विधेयकों के संबंध में - अमेरिकन राष्ट्रपति को कांग्रेस में पेश किये विधेयकों के संबंध में निम्न संवैधानिक परम्परागत तथा व्यावहारिक शक्ति प्राप्त है।

(i) राष्ट्रपति को कांग्रेस द्वारा पारित किसी भी विधेयक को विलम्बित करने का अधिकार है। इसे विलम्बित विशेषाधिकार कहा जाता है। इसके अंतर्गत राष्ट्रपति के पास अन्तिम स्वीकृति के लिए भेजे गये विधेयक को यदि राष्ट्रपति चाहे तो 'अस्वीकृत कर पुनः कांग्रेस के पास पुनर्विचार के लिए भेज सकता है।

(ii) विलम्बित निषेधाधिकार का ही दूसरा रूप जेबी निषेधाधिकार है। अपने इन निषेधाधिकार का प्रयोग राष्ट्रपति उन विधेयकों के संबंध में कर सकता है जिनको वह कानून बनने नहीं देना चाहता। यदि सत्र के अन्तिम दस दिनों में उसके पास भेजे गये विधेयकों पर राष्ट्रपति कोई कार्यवाही न करे तो सत्र समाप्ति पर ऐसे विधेयक स्वतः समाप्त माने जाते हैं। राष्ट्रपति की इस शक्ति को जेबी निषेधाधिकार की शक्ति कहा जाता है।

2. कांग्रेस को संदेश भेजने का अधिकार - अमेरिका का राष्ट्रपति समय-समय पर कांग्रेस को संदेश भेज सकता है। यह संदेश वह अधिवेशन के प्रारम्भ में कांग्रेस की संयुक्त बैठक में स्वयं उपस्थित होकर दे सकता है। वह आवश्यकतानुसार समय-समय पर लिखित संदेश भेज सकता है। कांग्रेस पर इन संदेशों का गहरा प्रभाव पड़ता है। किसी विधेयक के संबंध में राष्ट्रपति का क्या विचार अथवा संदेश है, यह बहुत महत्व रखता है।

3. कांग्रेस के अधिवेशनों पर नियंत्रण - राष्ट्रपति विभिन्न माध्यमों से कांग्रेस पर नियंत्रण रखता है-

1. यदि दोनों सदनों में स्थगन को लकेर असहमति हो जाती है तो राष्ट्रपति जब तक चाहे अधिवेशन को स्थगित रख सकता है।

2. राष्ट्रपति को कांग्रेस के असाधारण तथा विशेष सत्र बुलाने का अधिकार है।

4. घोषणायें अथवा आदेश जारी करने की शक्ति - अमेरिका के राष्ट्रपति की एक विशेष शक्ति कार्यकारी अध्यादेश जारी करने की है। इन अध्यादेशों को कार्यपालिका आदेश भी कहा जाता है। सर्वोच्च न्यायपालिका को न्यायिक पुनरावलोकन के माध्यम से इन शक्तियों पर अंकुश लगता है।

(क) राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां - राष्ट्रपति को कुछ न्यायिक अधिकार प्राप्त हैं। वह सीनेट की सहमति से संघीय न्यायपालिका के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है, किन्तु इन न्यायाधीशों को महाभियोग के अतिरिक्त नहीं हटाया जा सकता है।

(ख) आर्थिक व सामाजिक व्यवस्था के नियमन से संबंधित शक्तियाँ व कार्य - सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्रों में राष्ट्रपति ही विद्यमान है। उसके दृष्टिकोण, नीतियों व क्रियान्वयन का सीधा प्रभाव राष्ट्र की आर्थिक प्रगति तथा सामाजिक व्यवस्था पर पड़ता है। राष्ट्रपति विल्सन के शब्दों में समस्त राष्ट्र ने उसे राष्ट्रपति निर्वाचित किया है और उसे यह ध्यान रखना है कि अमेरिकी राष्ट्र का अन्य कोई राजनीतिक प्रवक्ता नहीं है। केवल उसका उदघोष ही राष्ट्रीय होता है। उसे एक देश का विश्वास तथा प्रशंसा जीत लेने दो और कोई अकेली शक्ति उसका सामना नहीं कर सकती, कई शक्तियों का संगठन भी उसे सरलता से नहीं हटा सकता। उसकी स्थिति राष्ट्रीय हो जाती है। वह किसी एक निर्वाचित क्षेत्र का प्रतिनिधि न होकर समस्त राज्य का प्रतिनिधि होता है।

राष्ट्रपति दलीय तथा राष्ट्रपति नेता के रूप में - अमेरिका का राष्ट्रपति अपने दल का प्रमुख नेता, राष्ट्रीय राजनेता तथा राजनयिक होता है। अध्यक्षात्मक सरकार में उसकी स्थिति अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। उसके द्वारा जारी किया गया एक-एक वक्तव्य राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर गहरा प्रभाव डालता है। किन्तु कोई भी राष्ट्रपति अपने दल अथवा व्यक्तिगत स्वार्थवश निरंकुश प्रकार के आदेश जारी करने का साहस नहीं कर सकते क्योंकि उनका पालन कठिन होगा। जॉन कार्बे के शब्दों में, "अधिकांश राष्ट्रपति इस तथ्य से परिचित होते हैं कि सदन बहुमत प्राप्त हो तो, वह दलीय नेता के रूप में विधि निर्माण कार्य अपनी इच्छानुसार करवा सकता है।'

अमेरिका के राष्ट्रपति तथा ब्रिटिश प्रधानमंत्री की तुलना - प्रो. लास्की के अनुसार, 'अमेरिकन राष्ट्रपति ब्रिटिश प्रधानमंत्री से अधिक और कम दोनों ही है। वास्तव में अमेरिकन राष्ट्रपति और ब्रिटिश प्रधानमंत्री की परस्पर तुलना एक मुश्किल कार्य है। क्योंकि दोनों देशों की व्यवस्था तथा कार्यपालिका के स्वरूप अलग हैं। अमेरिका के प्रधानमंत्री का पद नहीं होता है। ब्रिटेन में वास्तविक शक्तिशाली कैबिनेट होता है जिसका प्रधानमंत्री होता है। दोनों में कौन अधिक शक्तिशाली है इसके बारे में विद्वानों में मतभेद है।

प्रो. मुनरो लिखते हैं, कि "अब तक लोकतंत्र के किसी भी व्यक्ति ने इतनी अधिक सत्ता का प्रयोग नहीं किया गया जितनी कि अमेरिकन राष्ट्रपति करता है। वास्तव में देखा जाये तो अमेरिकन राष्ट्रपति व ब्रिटिश प्रधानमंत्री दोनों ही अपने-अपने राज्यों में जनता द्वारा निर्वाचित सर्वोच्च हैं, दोनों की स्थिति अपने-अपने देशों में सर्वाधिक शक्तिशाली है। संक्षेप में अमेरिकन राष्ट्रपति तथा ब्रिटिश प्रधानमंत्री की तुलना निम्न बिन्दुओं के अंतर्गत की जा सकती है

1. कार्यपालिका क्षेत्र में - अमेरिकन राष्ट्रपति देश का तथा कार्यपालिका का संवैधानिक तथा वास्तविक प्रधान है, जबकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री अपनी शक्तियों परम्पराओं से ग्रहण करता है। अमेरिकन राष्ट्रपति 4 वर्ष के लिए जनता द्वारा निर्वाचित होता है, इस अवधि के बीच में उसे केवल जटिल महाभियोग प्रक्रिया द्वारा ही हटाया जा सकता है। दूसरी ओर ब्रिटिश प्रधानमंत्री 5 वर्ष के लिए चुना जाता है, किन्तु वह पद पर तब तक बना रहता है जब तक वह बहुमत दल का नेता है तथा उसे लोकप्रिय सदन का विश्वास प्राप्त है।

2. विधायी क्षेत्र में - विधायी क्षेत्र में ब्रिटिश प्रधानमंत्री अमेरिकन राष्ट्रपति की अपेक्षा कहीं अधिक शक्तिशाली है। अमेरिकन राष्ट्रपति न तो कांग्रेस का सदस्य है और न ही उसे संसद को भंग करने का अधिकार है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री संसद का नेतृत्व करता है। प्रधानमंत्री ही 'हाउस आफ कामन्स' को भंग भी करवा सकता है अतः इस क्षेत्र में ब्रिटेन का प्रधानमंत्री राष्ट्रपति से अधिक शक्तिशाली है।

3. वित्तीय क्षेत्र में - वित्तीय क्षेत्र में भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री अमेरिकन राष्ट्रपति से अधिक शक्तिशाली है। अमेरिका में बजट राष्ट्रपति की देख-रेख में बजट ब्यूरो द्वारा निर्मित तथा प्रस्तुत किया जाता है। कांग्रेस को बजट के संशोधन का पूरा अधिकार प्राप्त है। दूसरी ओर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का वित्तमंत्री बजट तैयार करता है तथा लोकप्रिय सदन में प्रस्तुत करता है। बजट में सदन के द्वारा केवल वही परिवर्तन हो सकते हैं जो वित्त मंत्री करने के लिए तैयार हो। बहुमत दल के अल्पमत में करने की स्थिति में ही कटौती न संशोधन प्रस्ताव हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल सहित त्यागपत्र देकर नजट सरकार गिरा सकता है तथा संसद को मंग करने की संस्तुति दे सकता है।

4. वैदेशिक क्षेत्र में - ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियाँ, अमेरिकन राष्ट्रपति से अधिक हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति को युद्ध की घोषणा करने का अधिकार नहीं है, यह अधिकार केवल कांग्रेस को है। राष्ट्रपति तथा विदेशों से की गयी सभी संधियों तथा राजदूतों की नियुक्ति का पुष्टिकरण सीनेट द्वारा किया जाना अनिवार्य है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री की वैदेशिक शक्तियों पर इस प्रकार का कोई प्रतिबन्ध नहीं है। उसे संसद की पूर्व सहमति के बिना भी युद्ध तथा शान्ति की घोषणा करने का अधिकार है। वह संधि करने तथा राजदूतों की नियुक्ति में स्वतंत्र है जब तक संसद में उसका बहुमत है तथा उसकी सरकार को संसद का विश्वास प्राप्त है, वह जो चाहे कर सकता है।

5. न्यायिक क्षेत्र में - अमेरिका में न्यायालय को न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति प्राप्त है, जिसके अंतर्गत वह राष्ट्रपति द्वारा जारी किये किसी भी आदेश, कानून अथवा संधि को अवैध घोषित कर सकता है, यदि वह संविधान के विरुद्ध है। इसके विपरीत ब्रिटेन में न्यायिक पुनरावलोकन की व्यवस्था नहीं है। अतः प्रधानमंत्री के किसी कार्य को इस आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता कि वह संविधान के विरुद्ध है।

अंततः यह कहा जा सकता है कि यद्यपि अमेरिका का राष्ट्रपति विश्व के सभी प्रधानों में संवैधानिक तथा व्यावहारिक दृष्टिकोण से सर्वाधिक ऊँचा व शक्तिशाली है, किन्तु जब उसकी तुलना ब्रिटिश प्रधानमंत्री से की जाती है तो यह स्पष्ट हो जाता है कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री की व्यावहारिक शक्तियाँ असीमित हैं, इसीलिए रेम्जे म्योर ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री के विषय में लिखा है कि संसार में कोई भी संवैधानिक अध्यक्ष उसका मुकाबला नहीं कर सकता, चाहे वह संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का राष्ट्रपति भी क्यों न हो।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- उदार लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
  6. प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
  7. प्रश्न- समाजवादी राज्य क्या है, इसकी कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाजवाद की परिभाषा दीजिए। विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- उपनिवेशवाद क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- विकासशील देशों में राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- रूढ़ियों से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- रूढ़ियों कानून से किस प्रकार भिन्न हैं? प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- रूढ़ियों का पालन क्यों होता है? स्पष्ट कीजिये।
  14. प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- राजा एवं राजपद अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- मन्त्रिमण्डलात्मक प्रणाली का उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के संगठन एवं मंत्रिमण्डल व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- बिटिश प्रधानमंत्री सारे शासन तंत्र की धुरी है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन की सम्प्रभुता की विवेचना कीजिए तथा इस प्रभुसत्ता की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
  21. प्रश्न- लार्ड सभा की रचना कार्यों व उनकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- इंग्लैंड की समिति प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
  23. प्रश्न- कामन्स सभा क्या है? इसके संगठन एवं पदाधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कामन्स सभा की शक्तियों, कार्यों एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- कामन सभा के स्पीकर एवं उसकी शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  28. प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- राजनीतिक दलों से क्या तात्पर्य है? राजनीतिक दलों की भूमिका एवं महत्व को समझाइये।
  33. प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की कानूनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- मंत्रिमण्डल एवं क्राउन के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- मन्त्रिमंडल का ब्रिटिश की संवैधानिक व्यवस्था में क्या महत्व है?
  46. प्रश्न- मंत्रिमंडल की महत्ता के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की महत्ता के कारण बताइये।
  48. प्रश्न- लार्ड सभा ने सुधार के क्या प्रयास किये?
  49. प्रश्न- क्या ग्रेट ब्रिटेन में संसद संप्रभु है?
  50. प्रश्न- 'संसदीय प्रभुता' के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  51. प्रश्न- विपक्षी दल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- ब्रिटिश कानून कितने प्रकार से प्रयोग में लाये जाते हैं?
  55. प्रश्न- राजनीतिक दलों के कार्यों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- राजनीतिक दल मतदाताओं में अपना समर्थन बढाने के लिये कौन-कौन से साधनों का प्रयोग करते हैं।
  57. प्रश्न- ब्रिटेन तथा फ्राँस की दलीय प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यों, शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति की वृद्धि एवं उसके कारणों की विवेचना कीजिये।
  60. प्रश्न- अमेरिकी व ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना कीजिए।
  61. प्रश्न- ब्रिटिश संप्रभु (क्राउन) प्रधानमंत्री तथा अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- अमेरिका के सीनेट के गठन, उसकी शक्ति एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा के संगठन, शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- अमेरिका का उच्चतम न्यायालय व्यवस्थापिका का तृतीय सदन बनता जा रहा है। स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- सर्वोच्च के महत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं? अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।
  68. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की कार्य-प्रणाली का विवेचना कीजिए।
  69. प्रश्न- अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के गठन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति में क्या अन्तर है?
  70. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?
  72. प्रश्न- अमेरिका तथा ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की समानता और असमानताओं का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- दबाव अथवा हित समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूह के प्रमुख लक्षण एवं साधनों पर प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति को दलीय अथवा राष्ट्रीय नेता के रूप में पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- राष्ट्रपति एवं मन्त्रिमण्डल के सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- जैरीमैण्डरिंग पर संछिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- सीनेट के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  79. प्रश्न- यू. एस. ए. 'सीनेट की शिष्टता' का क्या अर्थ है?
  80. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा की दुर्बलता के कारण बताइये।
  81. प्रश्न- संघीय न्यायपालिका कितने प्रकार की होती है?
  82. प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
  85. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  86. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों की कमियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- अमरीका और इंग्लैण्ड की दल- प्रणाली की तुलना कीजिए।
  88. प्रश्न- अमेरिका के राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- माओवाद क्या है? माओवाद के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  90. प्रश्न- कन्फ्यूशियसवाद क्या है? इसके प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  91. प्रश्न- चीनी विधानमंडल राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के गठन, शक्ति एवं कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति के बारे में आप क्या जानते हंत उसकी शक्ति एवं कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- स्थायी समिति की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- जनवादी चीन के राष्ट्रपति के कार्यों एवं अधिकारों की विवेचना कीजिए।
  95. प्रश्न- चीन में न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें बताते हुये न्यायपालिका के संगठन एवं उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल के संगठन का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- एक देश दो प्रणाली नीति से आप क्या समझते हैं?
  99. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- चीन में कांग्रेस के सदस्यों के अधिकारों एवं दायित्वों की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- चीन राज्य परिषद के गठन पर प्रकाश डालिये।
  103. प्रश्न- चीन के सैनिक केन्द्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
  105. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जनवादी चीन में प्रोक्यूरेटोरेट पद की व्यवस्था का विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के वर्तमान संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के संविधान की संशोधन प्रकिया का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सफलता के कारणों को इंगित कीजिए।
  110. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
  112. प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।

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